Friday, May 11, 2012
तुम्हे क्या हाशिल होगा ?
शमा-ए रोशन कर मकबरे पे मेरे, तुम्हे क्या हाशिल होगा ?
रो रो कर आशु बहानेसे तब क्या हाशिल होगा ?
अभी तो हु में तुम्हारे सामने
मुजशे जुदा होकर तुम्हे क्या हाशिल होगा ?
ख़ामोशी तुम्हारी खाख बनादेगी मेरे बदन को !
मुजशे यूंह चुप रह कर तुम्हे क्या हाशिल होगा ?
[ Written on date : 27-03-2006, 10:55 PM ]
Labels:
Hindi
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4 comments:
WAAHH SIR KYA BAAT!!! KYA BAAT!! KYA BAAT!!!
Khubaj saras, Kharekhar dil bahar aavi ne kalam pakdi jate lakhtu hoi evu lage che, Sir.
I enjoyed the letters. I agree, Art is
a way of living-it is Life in my opinion.
Hmm
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